i still remember our last eye contact
कभी सोचा न था की वो भी मुझे तनहा कर जायेगा!जो अक्सर परेशान देखकर कहता था.... मैं हूँ न
i break my own heart by caring too much
ना शाखों ने जगह दी ,, ना हवाओं ने बख्शा..! मैं हूँ टुटा हुआ पत्ता . आवारा ना बनता तो क्या करता
जिन्दगी न जाने किस मुकाम तक पहुँच गई है, तन्हाई में रोना पड़ता है और महफ़िल में हँसना पड़ता है||
बड़ी कश्मोकश है इन दिनो ज़िन्दगी में...किसी को ढूंढते फिर रहे हैं हर किसी में....
कभी मिले फुर्सत तो इतना जरुर बताना वो कौनसी मोहब्बत थी जो हम तुम्हे ना दे सके
तन्हा रातें कुछ इस तरह से डराने लगी मुझे, मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया..!!🥺🥺
वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से, दूर क्या हुए कलम ने क़हर मचा दिया!!❤️
When she ignores you, thats when you need to talk to her the most.
A wrong relationship will make you feel more alone than when you were single.
I hope you're doing fine all alone.
एक सफर जहां फिरसे सब 'शून्य' से शुरू करना होगा।
अंदर तक तोड़ देते हैं, वो आंसू जो रात के अंधेरे में चुपचाप निकलते हैं.
मुस्कुराने की अब वजह याद नहीं रहती, पाला है बड़े नाज़ से मेरे गमों ने मुझे!!
ज़िक्र करते है तेरा हवाओं से अब, ये तूफ़ान बनके तेरे शहर से गुज़रे तो माफ़ करना. 💝💝💝
ज़ारो चेहरों में एक तुम दिल को अच्छे लगे, वरना ना चाहत की कमी थी ना चाहने वालो की.
कुछ कह गए, कुछ सह गए, कुछ कहते कहते रह गए..❗️ मै सही तुम गलत के खेल में, न जाने कितने रिश्ते ढह गए..‼️
Every night i sit at home alone, wondering whether you are thinking of me too.
मुझ से पहले भी उसका कोई था मेरे बाद भी उसका कोई है
आज सारा दिन उदास गुजर गया, अभी रात की सजा बाकि है....
अगर किस्मत में लिखा है रोना, तो कोई मुस्कुराने पर भी आंसू निकल आते हैं||
जिन्हें नींद नहीं आती उन्हीं को मालूम है सुबह आने में कितने जमाने लगते है
जब दिल गैरो मैं लग जाए तब अपनों मैं खामिया नजर आने लगती है
The reason why we can't let go of someone is because deep inside we still have hopes.
आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं.. आंख बरसे तो क्या किया जाए..??
दिल तो करता हैं की रूठ जाऊँ कभी बच्चों की तरह फिर सोचता हूँ कि मनाएगा कौन….?
Just because we are not close anymore doesn’t mean I dont care about you.
कभी कभी नाराज़गी दूसरों से ज्यादा खुद से होती है |
क्या गिला करें उन बातों से क्या शिक़वा करें उन रातों से कहें भला किसकी खता इसे हम कोई खेल गया फिर से जज़बातों से